जौनपुर : शाहगंज सीट पर सपा की है भाजपा-निषाद पार्टी से कांटे की टक्कर
# दो दशक से चला आ रहा कब्जा बरकरार रखना सपा के लिए आसान नहीं
खुटहन। मुलायम सोनी तहलका 24×7 जनपद की सबसे सशक्त तहसील एंव जिला बनने की आस लिए शाहगंज विधानसभा सीट पर भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की घटक निषाद पार्टी सपा को कड़ी टक्कर देती नजर आ रही है। ऐसे में सपा प्रत्याशी पूर्व मंत्री व मौजूदा विधायक शैलेंद्र यादव ललई के लिए इस सीट पर सपा का दो दशक से चला आ रहा कब्जा बरकरार रखना आसान नहीं है। इतिहास गवाह है इस सीट पर बीजेपी की नैया तभी मंझधार में अटकी जब निषाद वोटरों ने किनारा कसते हुए किसी दूसरे दल की पतवार थाम ली और यही कारण है कि भाजपा ने अबकी यह सीट सहयोगी दल के खाते में दे दी। भाजपा नेता पूर्व प्रमुख रमेश सिंह निषाद पार्टी के सिंबल पर मैदान में उतरे हैं।
राम मंदिर आंदोलन के सहारे दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनी भाजपा दो दशक से इस सीट पर जीत के लिए तरस रही है। राम लहर में वर्ष 1991 में राम पारस रजक ने जीत दर्ज कर यह सीट पहली बार भाजपा की झोली में डाली थी। 1993 में मध्यावधि चुनाव में सपा से गठबंधन में बसपा प्रत्याशी राम दवर एडवोकेट जीते और मंत्री बने। तीन साल के बाद ही सपा-बसपा गठबंधन टूटा और सरकार गिर गई।वर्ष 1996 के चुनाव में भाजपा के बांकेलाल सोनकर ने जीत दर्ज की।वर्ष 2002 में हुए चुनाव में भाजपा से अलग होकर कल्याण सिंह ने अपनी नवगठित राष्ट्रीय क्रांति पार्टी से मुंशी राम सोनकर को मैदान में उतार दिया।
यहीं से इस क्षेत्र के निषाद वोटर भाजपा से बिदक गए। मुंशी राम को करीब 17 हजार वोट मिले बांकेलाल सोनकर को पांच हजार वोटों से हार का मुंह देखना पड़ा। पहली बार सपा से जगदीश सोनकर विधायक चुने गए। वर्ष 2007 में सपा ने फिर जगदीश सोनकर, भाजपा ने बांके लाल सोनकर व बसपा ने रामफेर गौतम को मैदान में उतारा। इस बार भाजपा का गणित बिगाड़ा बागी होकर सुभासपा से मैदान में उतरीं अनीता रावत ने। जगदीश सोनकर दोबारा विधायक चुने गए। सपा राज में हुए परिसीमन में वर्ष 2012 में यह सीट सामान्य हो गई।खुटहन से दो बार जीते शैलेंद्र यादव ललई को इस सीट पर उतारा। उन्होंने जीत की हैट्रिक लगाई। बसपा के धर्मराज निषाद दूसरे और भाजपा के ओम प्रकाश जायसवाल तीसरे स्थान पर रहे।
वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा ने यह सीट सहयोगी दल सुभासपा के खाते में दे दी। उसके सिंबल पर मैदान में उतरे राणा अजीत सिंह कांटे की टक्कर में शैलेंद्र यादव ललई के मुकाबले हार गए। इस बार जीत के मंसूबे पर पानी फेरा निषाद पार्टी के प्रत्याशी डा. सूर्यभान यादव ने। सत्ताधारी भाजपा निषाद पार्टी से गठबंधन के सहारे अबकी जीत की आस लगाए हुए है लेकिन डॉ सूर्यभान यादव के इस्तीफे ने निषाद पार्टी के लिए भी मुश्किलें बढ़ा दी है। वहीं बसपा ने इन्द्रदेव यादव को, कांग्रेस ने परवेज आलम भुट्टो एंव एआईएमआईएम ने नायाब को मैदान में उतार कर सपा के एमवाई कॉम्बिनेशन में सेंधमारी की कोशिश की है जो सपा की जीत में मुश्किलें बढ़ा रही है।