‘डालर और डर’ के बीच फंसा है पाकिस्तान, फ़िर भी जेहाद से बाज़ नहीं आयेगा!
# सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक के बाद भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान के मदादगारों को भी हिलाकर रख दिया, उनके सैन्य उपकरण की हवा निकालने वाली भारतीय मिसाइलों व उपकरणों की युद्ध में सिद्ध हुई प्रामाणिकता ने दुश्मनों में डर और मित्र देशों की मांग ने हथियारों के व्यवसाय में टॉप पर पहुंचा दिया है।
कैलाश सिंह
राजनीतिक संपादक
लखनऊ/ दिल्ली।
तहलका 24×7
दुनिया में हथियारों की होड़ और युद्ध बढ़ता जा रहा है। बुद्ध का संदेश देने वाले भारत को भी आखिरकार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए युद्ध में उतरना ही पड़ गया। तीन दिन के युद्ध में महज 25 मिनट में हमारी एयरफोर्स ने पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूत करने के बाद वहां के आठ एयरपोर्ट को ऐसा तबाह किया कि न्यू क्लियर प्रणाली भी प्रभावित हो गई, इसके बाद युद्ध विराम हो गया।लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया कि ‘पाकिस्तान की ऐसी किसी जेहादी घटना को हम प्राक्सी वार नहीं, बल्कि युद्ध मानेंगे, इसीलिए ऑपरेशन सिंदूर बन्द नहीं स्थगित किया गया है।’ यही डर समूचे पाकिस्तान को सता रहा है।

दरअसल पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर को भारत से मुंह की खाने के बाद वहां की कथित सरकार ने उसे फील्ड मार्शल का तोहफा दे दिया। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भारत से फिर पिटने के बाद पाकिस्तान में डालर की फुहार पड़ी और अमेरिका ने वहां के पीएम की बजाय दावत पर फील्ड मार्शल को बुलाया। यही वह मौका था जब इजराइल के पक्ष में ईरान पर बम वर्षा करके अमेरिका ने उसकी परमाणु सयंत्र तैयारी को नष्ट करके कई साल पीछे ढकेल दिया।

जबकि भारत से युद्ध के दौरान ईरान का पाकिस्तान के पक्ष में समर्थन रहा। यानी पाकिस्तान ने शिया-सुन्नी वाला दांव खेलकर उसे धोखा दिया। ईरान शिया मुस्लिम बहुल देश है। यहां शिया समुदाय की संख्या लगभग आठ करोड़ है, पूरी दुनिया में मिलाकर यह संख्या बीस करोड़ से अधिक है। इस देश के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई हैं, जो शिया धर्मगुरु भी हैं।दुनिया के कई देशों में बढ़ते युद्ध के कारणों को लेकर गहराई से अध्ययन करने वाले भारत के पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मायानंद सरस्वती ने ‘तहलका 24×7’ से हुई बातचीत में कहा कि पाकिस्तान का अस्तित्व भारत से दुश्मनी पर ही जिंदा है।

वहां के राजनेताओं पर मिलिट्री हमेशा भारी रहती है, लीडरशिप तो कठपुतली होती है। अपने हितों के लिए अमेरिका और चीन उसे आर्थिक और सामरिक सहयोग देते रहते हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इन दोनों देशों के सैन्य उपकरण भारतीय मिसाइलों और जेट के सामने ध्वस्त हो गए।कूटनीति में भी मुंह की खाने के बावजूद पाकिस्तान में डालर की हुई हल्की बारिश हथियारों की खरीद और मिलिट्री अफसरों के निजी काम में ही खर्च होगी। आम जनता के विकास कार्य यहां सपने जैसा है। कहीं आज तक सुनने में आया है कि किसी देश की सेना व्यवसाय या खेती करती है? लेकिन पाकिस्तान में ऐसा ही होता है।

स्वामी चिन्मायानंद ने विगत 22 अप्रैल को हुई पहलगाम की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जिसमें 26 हिंदू पर्यटकों का उनके परिवार के सामने कत्ल कर दिया गया था, उसी दौरान ऑपरेशन सिंदूर का जन्म हुआ। अब हमारी सरकार किसी भी जेहादी, आतंकी हमले को प्राक्सीवार (छद्म युद्ध) को सीधे युद्ध की घोषणा मानकर ‘ऑपरेशन सिंदूर 2’ शुरु कर देगी। यही डर पाकिस्तान को सता रहा है, लेकिन बिना युद्ध के उसे डालर व अन्य सहयोग भी नहीं मिलेगा।

इतना ही नहीं, अपने रास्ते पर पाकिस्तान ने बांग्लादेश को भी डाल दिया है। लेकिन इन दोनों देशों की जीवन रेखा की लगाम भारत ने खींच रखी है। पाक के सिंधु जल समझौते को स्थगित करने का मतलब है बाढ़ और सूखा दोनों से उन्हें मारने के बराबर है। इसी तरह बांग्लादेश के व्यापारिक रास्तों को बन्द कर केवल एक रास्ता देने से वहां की अंतरिम सरकार भी आर्थिक संकट से जूझ रही है। भारत की रणनीति और कूटनीति दोनों सफल साबित हो रही है।