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Sunday, May 19, 2024

बिहार सियासी उलट-फेर ! रुख नहीं भांप पाई भाजपा

बिहार सियासी उलट-फेर ! रुख नहीं भांप पाई भाजपा

# फ्री हैंड नहीं मिलने से नाराज थे नीतीश, शपथ ग्रहण आज..

पटना।
आर एस वर्मा
तहलका 24×7
              बीते चार महीनों में नीतीश ने कई बार अपनी नाराजगी का संदेश दिया… विधानसभा सत्र के दौरान उनकी स्पीकर से कहासुनी हुई। वे केंद्र सरकार के आयोजनों से दूरी बनाए हुए थे। दो दिन पूर्व नीति आयोग की बैठक में नहीं आए। राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण और निवर्तमान राष्ट्रपति के विदाई समारोह से भी दूर रहे। गृहमंत्री अमित शाह की बैठक में भी शामिल नहीं हुए। नाराजगी इतनी बढ़ेगी कि गठबंधन टूट जाएगा, ऐसा भाजपा ने सोचा भी नहीं होगा। बहरहाल, आज यानी बुधवार दोपहर दो बजे आयोजित सीएम और डिप्टी सीएम के शपथग्रहण समारोह के साथ ही बिहार में नई सरकार की कवायद शुरू हो जाएगी।

# सरकार में फ्री हैंड नहीं मिलने से भी नाराज थे नीतीश

भाजपा को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराजगी का अंदाजा था, मगर पाला बदलने की भनक तक उसे नहीं लग पाई। वह जदयू से लगातार मिल रहे संकेतों को भांपने में बुरी तरह चूक गई। खासतौर से आरसीपी सिंह मामले में पैदा हुए विश्वास के संकट ने दोनों दलों के बीच खाई और चौड़ी कर दी। नीतीश की भाजपा से नाराजगी नई नहीं थी। इसका सिलसिला विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान के भाजपा के पक्ष और जदयू के विरोध में ताल ठोकने से शुरू हो गया था। भाजपा के मुकाबले जदयू के आधी सीटों पर सिमटने, सरकार चलाने में फ्री हैंड नहीं मिलने, विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लगातार सरकार पर हमला करने से नीतीश की नाराजगी बढ़ गई।

# ताबूत में अंतिम कील साबित हुए आरसीपी

नाराजगी के बीच जब आरसीपी केंद्र में मंत्री बने तो नीतीश का सब्र टूट गया। जदयू नेताओं का कहना है, नीतीश की सहमति के बिना आरसीपी मंत्री बने। बाद में नीतीश ने उन्हें राज्यसभा का टिकट नहीं दिया तो उन्होंने जदयू विधायकों से संपर्क साधना शुरू किया। नीतीश को लगा कि इसके पीछे भाजपा है। जदयू ने कई बार भाजपा पर जदयू में मतभेद पैदा करने का आरोप लगाया।

# जुदाई के और भी थे कारण

जुदाई में एक अहम कारण जदयू के वोट बैंक में भाजपा की एंट्री थी। कभी भाजपा का आधार राज्य के अगड़ों तक ही सीमित था। हालांकि बाद में पार्टी ने दलितों और गैरयादव पिछड़ों में भी अपनी पैठ बढ़ाई। महादलित और गैरयादव पिछड़ा के साथ पसमांदा मुसलमान जदयू के कोर वोटर रहे हैं। भाजपा से गठबंधन के बाद भी पसमांदा वोट जद-यू को मिलता रहा लेकिन राष्ट्रीय परिदृश्य पर मोदी के आने के बाद यह वोट बैंक राजद में चला गया। वहीं जदयू के दूसरे वोट बैंक में भाजपा ने घुसपैठ कर ली। इससे नीतीश परेशान थे।

# टकराव पर उदासीन रहा शीर्ष नेतृत्व

बिहार में अरसे से जारी टकराव के बीच भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उदासीन रहा। सरकार में रहते भाजपा के नेता लगातार नीतीश पर निशाना साध रहे थे, मगर पार्टी नेतृत्व इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर रहा था। पिछले महीने पटना में आयोजित भाजपा के राष्ट्रीय मोर्चाओं की बैठक के बाद जरूर केंद्रीय नेतृत्व ने हालात संभालने की कोशिश की। मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

इस संदर्भ में प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा संजय जायसवाल ने कहा कि जनादेश राजग के पक्ष में था। जदयू को आधी सीटें मिलने के बाद भी भाजपा ने गठबंधन धर्म का सम्मान करते हुए नीतीश को मुख्यमंत्री बनाया। इसके बावजूद जदयू ने पाला बदल कर जनादेश का अपमान किया है। भाजपा पूरे राज्य में नीतीश के खिलाफ अभियान चलाएगी।

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