दिल्ली विधानसभा चुनाव: तीन वोट बैंक करेंगे ‘दिल्ली के तख्त’ का फैसला
# कहीं यमुना के पानी में आप की नाव तो नहीं डूब रही! झूठ का अंतिम कार्ड भी अरविंद केजरीवाल की मुठ्ठी से रेत की तरह फिसला।
# भाजपा और कांग्रेस की बाज़ नज़र ‘मध्यमवर्गीय’ झुग्गी झोपड़ी और मुस्लिम वोट बैंक पर, दिल्ली के तख़्त पर बैठाने वाले यही वोटर बनेंगे निर्णायक।
कैलाश सिंह
राजनीतिक संपादक
लखनऊ/ दिल्ली
तहलका 24×7
दिल्ली विधान सभा चुनाव 2025 की छाया राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ी, क्योंकि सपा के अखिलेश यादव और आरजेडी के तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी से किनारा करके अरविंद केजरीवाल को समर्थन दे दिया। फिर भी चुनाव प्रचार के आखिरी दिन तक आम आदमी पार्टी की नाव यमुना के भंवर में हिचकोले खाती नजर आई। इस दल के मुखिया अरविंद केजरीवाल के ‘झूठ का कार्ड’ उनकी मुठ्ठी से रेत की तरह फिसल गया। उन्होंने हरियाणा की भाजपा सरकार पर यमुना नदी के पानी को जहरीला करने का आरोप मढ़ा लेकिन उसका ठोस आधार नहीं दे सके।

दरअसल घोटालों के आरोप में जेल से जमानत पर इस बार जब से वह बाहर आये हैं तब से अपने द्वारा बोले गए झूठ को सच साबित करके चौथी बार दिल्ली की गद्दी हथियाने के फेर में झूठ पर झूठ बोलते रहे, लेकिन उनके हाथ हर कार्ड रेत सरीखे फिसलता रहा। पिछले चुनाव के दौरान इन्होंने दिल्ली की जनता से कहा था कि ‘इस बार जीत मिली तो अगले पांच साल में यमुना का पानी नहाने और पीने लायक स्वच्छ होगा, यदि ऐसा नहीं हुआ तो मुझे तब वोट मत देना।’ अब वही घड़ी आई तो उन्होंने दूसरा झूठा कार्ड यह खेला कि हरियाणा की भाजपा सरकार ने यमुना के पानी को जहरीला बना दिया है। जिसपर जलबोर्ड समेत किसी को भरोसा नहीं हुआ।

यदि वह पानी जहरीला होता तो अब तक कितनी ‘जान’ चली गई होती और देश की राजधानी में हाहाकार मचा होता।राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस बार का दिल्ली विधान सभा चुनाव त्रिकोण में फंस गया है। तीन वोट बैंक जो आम आदमी पार्टी को दिल्ली के तख़्त पर बैठाते रहे उनमें से मुस्लिम वोटर का झुकाव कांग्रेस की तरफ साफ नजर आ रहा है, जबकि मध्यम वर्ग का रुख भाजपा की ओर बढ़ता दिख रहा है। बचे झुग्गीझोपड़ी वर्ग के वोटर तो उनपर तीनों दल भाजपा, कांग्रेस और आप डोरे डालते रहे, किसने बाजी मारी यह चुनाव परिणाम आने पर ही पता चलेगा।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय राजनीति पर जो छाया पड़ी वह इंडिया गठबंधन की परछाई थी। हुआ ये कि यूपी की समाजवादी पार्टी और बिहार के आरजेडी ने राहुल गांधी को छोड़ अरविंद केजरीवाल को समर्थन दे दिया। हालांकि इन दलों का यहां कोई जनाधार नहीं है, लेकिन इस साल बिहार और 2027 में होने वाले विधान सभा चुनाओं में इंडिया गठबंधन की छीछालेदर देखने को मिलेगी। अरविंद केजरीवाल की कट्टर ईमानदारी घोटालों की भेट चढ़ गई और सहानुभूति को उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ लपक लिए। कोरोना काल में दिल्ली में रहने वाले यूपी, बिहार के श्रमिकों, कर्मचारी व छोटे व्यापारियों को शीशमहल बनवाने में मशगूल केजरीवाल ने भगवान भरोसे यूपी की सीमा पर छोड़ दिया था, तब योगी ने अपनी बसों से उन्हें उनके घरों तक पहुंचाया। कोरोना के कोहराम पर नियंत्रण पाने को पीएम मोदी की सरकार जी-जान से जुटी थी।
लेकिन केजरीवाल ने जिस तरह पल्ला झाड़ लिया था यदि जनता ने उनसे किनारा कर लिया तो चौथी बार उनके मुख्यमन्त्री बनने के ख्वाब ‘हसीन सपने’ साबित होंगे।