36.7 C
Delhi
Wednesday, April 24, 2024

मोहब्बत, गलबाहियां, खटपट… सपा से एक-एक कर ले रहें हैं तलाक खटखट

मोहब्बत, गलबाहियां, खटपट… सपा से ले रहें हैं एक-एक कर तलाक खटखट

लखनऊ।
रवि शंकर वर्मा
तहलका 24×7
             सपा से तीन माह के प्यार के बाद उसके साथ गए दलों ने गलबहियां कीं। तीन माह तक साथ-साथ रहे, लेकिन 10 मार्च को चुनाव परिणाम आने के बाद ही खटपट शुरू हो गई और अगले ही तीन माह में सपा का कुनबा बिखर गया। अब सपा के पास सिर्फ रालोद का साथ है।
सपा के साथ विभिन्न दलों के आने का क्रम अक्तूबर 2021 में शुरू हुआ। सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने 27 अक्तूबर को सपा को समर्थन का एलान किया। फिर महान दल के अध्यक्ष केशवदेव मौर्य ने सपा कार्यालय में अखिलेश की अध्यक्षता में सम्मेलन किया। इसी तरह जनवादी पार्टी सोशलिस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय चौहान, अपना दल (कमेरावादी) की अध्यक्ष कृष्णा पटेल, रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी, प्रसपा संस्थापक शिवपाल सिंह यादव सहित कई दल साथ आए।
दिसंबर के अंतिम सप्ताह से 10 मार्च तक सभी साथ-साथ रहे। इस बीच चुनाव से ऐन पहले भाजपा के तीन कैबिनेट मंत्रियों सहित 14 विधायकों ने भी पाला बदल कर सपा का झंडा थाम लिया। कभी एक-दूसरे के खिलाफ आग उगलने वाले एक ही मंच पर अब गलबहियां करते दिखे। एक-दूसरे की तारीफ में कसीदे पढ़े गए। पर विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद एक-दूसरे पर हार का ठीकरा भी फोड़ने लगे। कुछ दिन यह सब पर्दे के पीछे चला और जून में सबके समाने आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया।

# आगे क्या होगा सपा का रास्ता

सपा अध्यक्ष व पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को छोड़कर अन्य सभी कार्यकारिणी व फ्रंटल संगठनों की कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया है। पार्टी सदस्यता अभियान चला रही है। जल्द ही राष्ट्रीय और प्रांतीय सम्मेलन होंगे। सूत्रों का कहना है कि चुनाव के दौरान साथ जुड़ने वालों के बयानबाजी से आजिज आ गई सपा अब नई राह पर चलना चाहती है। दबाव की राजनीति करने वालों को रास्ते से हटाकर नए सिरे से संगठन को मजबूत करने का प्रयास जारी है। डॉ. लोहिया ने कहा था कि विचारहीन शक्ति राक्षस है। शक्तिहीन विचार बांझ है। सपा के साथ जुड़ने वाले लोग तत्कालीन माहौल देखकर आए थे। सपा को नए सिरे से संगठनात्मक शक्ति बढ़ानी होगी। अपने विचारों को जन-जन तक पहुंचाना होगा। सपा के पास युवाओं की ताकत है। उसका सदुपयोग करना होगा।
प्रसपा ने 80 विस चुनाव के लिए उम्मीदवार तैयार किए थे, पर गठबंधन पर सिर्फ एक सीट शिवपाल को मिली। सपा विधायक होने के बाद भी शिवपाल को किसी बैठक में नहीं बुलाया गया। नाराज होकर उन्होंने अलग रास्ता चुना। सपा के समर्थन से जयंत राज्यसभा पहुंचे। अखिलेश समय-समय पर रालोद को पूरी तव्वजो देते रहे हैं। वहीं गठबंधन में सुभासपा को 14 सीटें मिली और छह जीते। विधान परिषद में एक सीट मांगी पर नहीं मिली। राष्ट्रपति चुनाव के कार्यक्रम में सपा ने नहीं बुलाया, जबकि भाजपा ने बुलाया।
अपना दल (कमेरावादी) पार्टी सिंबल पर अध्यक्ष कृष्णा पटेल चुनाव लड़ी और हार गईं। कृष्णा की बेटी पल्लवी सपा के टिकट पर सिराथू से जीतीं। महान दल पार्टी अध्यक्ष केशवदेव की पत्नी और बेटे सपा के टिकट पर चुनाव लड़े पर हार गए। जसपा, राक्रांपा, कांशीराम बहुजन मूल निवासी पार्टी एक-एक सीट सपा के टिकट पर मिली और हार गए।

तहलका संवाद के लिए नीचे क्लिक करे ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓

लाईव विजिटर्स

37084414
Total Visitors
340
Live visitors
Loading poll ...

Must Read

Tahalka24x7
Tahalka24x7
तहलका24x7 की मुहिम..."सांसे हो रही है कम, आओ मिलकर पेड़ लगाएं हम" से जुड़े और पर्यावरण संतुलन के लिए एक पौधा अवश्य लगाएं..... ?

हनुमान जन्मोत्सव पर देर रात तक आयोजित हुआ कार्यक्रम 

हनुमान जन्मोत्सव पर देर रात तक आयोजित हुआ कार्यक्रम  # भंडारे में लोगों ने किया प्रसाद ग्रहण  शाहगंज, जौनपुर।  राजकुमार अश्क  तहलका 24x7   ...

More Articles Like This