सुल्तानपुर : भारतीय संविधान पिछड़ों और वंचितों के अधिकारों की रक्षा के लिए है कटिबद्ध
# राणा प्रताप कॉलेज में नेहरू युवा केंद्र और राष्ट्रीय सेवा योजना की विचार गोष्ठी
सुल्तानपुर।
मुन्नू बरनवाल
तहलका 24×7
संविधान किसी भी देश के शासन प्रणाली तथा समाज व्यवस्था के सम्यक संचालन के लिए निर्मित की गई आचार संहिता का दूसरा नाम है। इसे हम किसी भी देश का सर्वोच्च कानून कह सकते हैं। हमारा संविधान भारत की बहुलतावादी संस्कृति को सम्मानित और इसके समावेशी स्वरूप को गौरवान्वित करता है। उक्त बातें राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.आलोक कुमार पाण्डेय ने कहीं। वह नेहरू युवा केंद्र और राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आयोजित विचार गोष्ठी को बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित कर रहे थे।
समाजशास्त्र विभाग के प्राध्यापक डॉ वीरेंद्र गुप्ता ने कहा कि भारतीय संविधान पिछड़ों और वंचितों के अधिकारों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने संविधान में वर्णित मूल अधिकार, नागरिक कर्तव्य और नीति निदेशक तत्वों पर विस्तार से बातचीत की। इससे पूर्व नेहरू युवा केंद्र के प्रतिनिधि आशुतोष मिश्र ने उपस्थित लोगों का स्वागत करते हुए विषय प्रवर्तन किया। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो डीके त्रिपाठी ने देश के प्रत्येक नागरिक के भीतर संविधान की मूल भावनाओं की समझ विकसित करने की जरूरत पर बल दिया। संचालन डॉ प्रभात श्रीवास्तव व आभार ज्ञापन डॉ हीरालाल यादव ने किया। संगोष्ठी में पूर्व प्राचार्य डॉ एमपी सिंह, उप प्राचार्य डॉ निशा सिंह, प्रोफेसर शैलेन्द्र प्रताप सिंह, आइक्यूएसी निदेशक इंद्रमणि कुमार, डॉ.महमूद आलम, राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम अधिकारी डॉ. नीतू सिंह, डॉ भारती सिंह, डॉ रंजना पटेल, शांतिलता कुमारी, डाॅ धीरेन्द्र कुमार, डॉ शिव भोले मिश्र, डॉ अभय सिंह, सुनील त्रिपाठी, यशवंत सिंह व बृजेश सिंह सहित अन्य प्राध्यापक तथा छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।