तहलका 24×7 विचारमंथन में लेखिका डॉ रश्मि शुक्ला की होली पर स्वरचित कविता…
“होली के हम रंग”
इस बार हम यादो के रंग होली खेलें,
कोरोना ने मार डाला उनको कैसे भुलें।
बहुत याद आते हैं सब अपने प्यारे रंग,
दोस्त सहयोगी बन मिलकर रहते संग।
हिन्दु मुस्लिम सिख ईसाई सब एक रंग,
आओ आज नमन करते तब खेले रंग।
क्रोध हिंसा बैर की होलिका जलाकर,
फागुन के रंग बिरंगे गीत माला गाकर।
हम सब मिलकर स्वदेशी होली मनाएं,
चाइना, पाक के दिल मे आग लगाएं।
रंग रंग के प्यारे बगिया के है फूल सब,
“रश्मि” जन कहती फगुआ आया अब।
लेखिका
डॉ रश्मि शुक्ला (अध्यक्ष)
सामाजिक सेवा एवं शोध संस्थान प्रयागराज
Mar 19, 2021