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Sunday, May 5, 2024

विचारणीय ! क्या गेहूं निर्यात पर बैन लगाना उचित है?

विचारणीय ! क्या गेहूं निर्यात पर बैन लगाना उचित है?

# वित्त स्तम्भकार कीर्ति आर्या का विचारमंथन

रूस और यूक्रेन की लड़ाई के चलते इंटरनेशनल मार्केट में गेहूं की डिमांड ज्यादा हो गई है। डिमांड हाई होने से गेहूं का दाम बढ़ गया है। एक्सपोर्ट ज्यादा करने तथा इंटरनेशनल मार्केट में अपना दबदबा बनाने के साथ ही साथ रेवेन्यू जेनरेट करने के लिए भारत के लिए यह एक बहुत सुनहरा अवसर था, जिससे भारत का Trade deficit कम हो सके। किंतु प्राकृतिक परिस्थिति प्रतिकूल होने के कारण इस बार तापमान अनुमानित तौर से ज्यादा होने के कारण गेहूं की पैदावार पर खराब प्रभाव पड़ा है तापमान ज्यादा होने के कारण गेहूं 10 से 15 परसेंट कम निकला है। जिसकी वजह से मोदी सरकार गेहूं का रियाद एक्सपोर्ट कंपलीटली बैन कर रही है क्योंकि भारत की पापुलेशन बहुत ज्यादा है और भारत देश में की गेहूं की खपत बहुत ज्यादा है और पैदावार कम होने की वजह से निर्यात करने का दायरा बहुत ही सीमित हो जाता है।

भारत सबसे ज्यादा गेहूं बांग्लादेश को निर्यात करता है उसके बाद श्रीलंका को… रसिया वर्ल्ड में नंबर वन wheat प्रोड्यूसर है, उसके बाद चाइना तथा उसके बाद भारत गेहूं का प्रोड्यूसर है। पॉपुलेशन कम होने की वजह से रसिया सबसे बड़ा गेहूं का एक्सपोर्टर भी है। उसके बाद यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका पता कनाडा क्रमशः है। यूक्रेन पांचवें नंबर के पायदान पर एक्सपोर्टर के रूप में है। G7 की मीटिंग जून में जर्मनी में निर्धारित है जिसमें प्रधानमंत्री मोदी Guest होकर अटेंड करेंगे। G7 कंट्रीज के द्वारा भारत द्वारा संपूर्ण Ban गेहूं export पर आपत्ति जताई गई है।Wheat (गेहूं) एक्सपोर्ट के बारे में कुछ जान लेना आवश्यक है। पहला फूड सिक्योरिटी एक्ट जिसका उद्देश्य एक गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए लोगों को वहनीय मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता के खाद्यान्न की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराते हुए उन्हें मानव जीवन-चक्र दृष्टिकोण में खाद्य और पौषणिक सुरक्षा देना है।

दूसरा राइट टू फूड जिसमें हर इंसान को खाने का अधिकार दिया गया है तथा कम दाम पर अनाज उपलब्ध कराया जाता है जिनके पास खाने की व्यवस्था नहीं है। अगर देश में अनाज की कमी है और कमी होने से उसका दाम ज्यादा होगा और सप्लाई कम हो गई तो प्राइस अपने आप बढ़ेगा तो देश की जनता भूखे रहे और रेवेन्यू जेनरेट करने के लिए अनाज को बाहर देश में बेचा जाए यह एक प्रतिकूल प्रभाव देश पर डालेगा। देखना यह होगा कि प्रधानमंत्री मोदी G7 के सदस्यों द्वारा दबाव में आते हैं या नहीं ? यह जून की G7 सम्मिट में पता चलेगा।

यूक्रेन के बीच में युद्ध होने की वजह से गेहूं का इंटरनेशनल मार्केट में शॉर्टेज हो गई है। जिससे भुखमरी के हालात हो गए हैं और यह भारत के लिए कहीं ना कहीं एक अच्छा विकल्प है अपने इंटरनेशनल मार्केट में पहचान बनाने का.. परंतु साथ में अपने देश के लोगों को भी मद्देनजर रखते हुए कोई ठोस फैसला लेने का भी.. जिससे इंटरनेशनल ऑल डॉमेस्टिक मार्केट में बैलेंस बना सके। यह अपॉर्चुनिटी कृषि क्षेत्र में और विकास तथा एडवांस टेक्नोलॉजी के लिए प्रेरित करती है कि जिससे भारत न केवल अनाज के संदर्भ में आत्मनिर्भर बल्कि दूसरों की सहायता के लिए भी सक्षम हो सके। हमारे देश में, हमारे सेकंड प्राइम मिनिस्टर लाल बहादुर शास्त्री का नारा रहा “जय जवान जय किसान” तथा “ग्रीन रिवॉल्यूशन” भारत में लाया गया जिससे कि भारत में भूखा कोई ना रह सके और कृषकों के पास भरपूर अनाज रहे से कि देश भी अन्न और धन से भरा रहे।
कीर्ति आर्या
(एमबीए इन फाइनेंस -बीएचयू
बीकॉम, एलएलबी- दिल्ली यूनिवर्सिटी)

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