कॉलेज के प्रिंसिपल समेत मर चुके लोगों को बनाया मनरेगा मजदूर, प्रधान ने हड़पे रुपये
संभल।
तहलका 24×7
मनरेगा में फर्जीवाड़ा का बड़ा मामला सामने आया है। 12 से अधिक मृत लोगों के भी जॉब कार्ड बने और लगातार उन्हें मजदूरी भी दी जा रही है। उससे पैसे की निकासी भी होती रही।इतना ही नहीं इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल के नाम से भी जॉब कार्ड बना है, जिसमें उनकी जाति तक बदल दी गई है।मामले की शिकायत की गई तब जिला प्रशासन ने मामले की जांच शुरू की। फिलहाल, एक लाख रुपए से अधिक का घोटाला सामने आ चुका है।

जिले में पंवासा ब्लॉक के गांव अतरासी का यह मामला है। गांव बहजोई स्थित जिला मुख्यालय से लगभग 8 किलोमीटर दूर हाइवे पर स्थित है। हाईवे किनारे बसे इस गांव में मौजूदा ग्राम प्रधान सुनीता यादव हैं। आरोप है कि ग्राम प्रधान ने मनरेगा के तहत फर्जीवाड़ा से संबंधित कई काम किए हैं। प्रधान ने दर्जनभर से अधिक गांव के मृतकों के नाम जॉब कार्ड बनवा दिए। उनसे कागजों में काम कराकर धनराशि निकाल ली गई। कई जॉब कार्ड में मजदूरों की जातियों को बदलकर उनके नाम से भी मजदूरी की रकम निकालकर हजम कर ली गई। इसके अलावा जॉब कार्ड में कुछ मजदूर तो ऐसे भी हैं जो गांव के मूल निवासी ही नहीं हैं।

जिले के मुलायम सिंह यादव इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल ऋषिपाल सिंह को भी मनरेगा मजदूर बना दिया गया, उनकी जाति तक बदल दी गई। कई साल तक मनरेगा में घपलेबाजी होती रही, लेकिन सचिव और जिम्मेदार अधिकारी अंजान बने रहे। आरोप है कि प्रधान ने अपने सगे संबंधियों को भी मनरेगा में मजदूर बनाया। प्रधानाचार्य ऋषिपाल सिंह ने बताया कि उनके नाम से जॉब कार्ड बना हुआ है, पैसा भी निकाला गया है, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।

शिकायतकर्ता हरि प्रकाश ने आरोप लगाया कि प्रधान द्वारा मनरेगा के तहत अपने परिजनों को लाभ दिया गया है। प्रधान के मृतक ससुर के नाम से भी मनरेगा से पैसा निकाला गया। तमाम ऐसे लोग हैं, जो काफी समय पहले मर चुके हैं, इसके बाद भी उनके नाम से पैसा निकाला गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि मनरेगा के तहत लाखों रुपए निकाले गए हैं, जिसकी जांच की जाए। संजीव कुमार ने बताया कि 2020 में उसके बाबा जगत सिंह का निधन हो गया था, लेकिन उन्हें नहीं पता कि मनरेगा के तहत उनके नाम से पैसा निकाला गया है। इसकी जानकारी उन्हें तब हुई जब गांव में जांच आई।

निर्मल दास ने बताया कि प्रधान के परिवार वालों के नाम से मनरेगा के जॉब कार्ड बने हुए हैं। तमाम मृतकों के नाम से पैसा निकाला गया है। कई तो ऐसे हैं, जो गांव में रहते ही नहीं, फिर भी उनके नाम से पैसा निकाला गया है।प्रधान पर आरोप है कि अपने मृत ससुर को भी मजदूर दर्शाकर उनके नाम से भी सरकारी धनराशि निकालकर इसका दुरुपयोग किया गया। मामले में जिला एवं शासन स्तर पर शिकायत की गई। शिकायतकर्ता का दावा है कि उसके पास मनरेगा में घपलेबाजी से संबंधित दस्तावेजों के पुख्ता सबूत हैं।

आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान और संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से मनरेगा में लाखों रुपए डकार लिए गए।मामले में जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि यह पूरा प्रकरण छह महीने पुराना है। मामले में 105000 की रिकवरी वसूलने लेकर आदेश दिए गए हैं। मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।