यूपी के निकाय चुनाव में सीटों के आरक्षण पर हो सकता है बड़ा उलटफेर
# आरक्षण बदलने की आशंका को लेकर दिग्गज दावेदारों में बेचैनी
लखनऊ।
आर एस वर्मा
तहलका 24×7
यूपी में जल्द होने वाले नगर निकाय चुनाव पर सभी की नजरें हैं। भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस के साथ ही आम आदमी पार्टी के अलावा निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले दावेदारों की भी तैयारी जोरों पर हैं। इस बीच निकायों में वार्डों के आरक्षण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सभी मेयर और नगर पालिका अध्यक्ष पद पर शासन स्तर से आरक्षण निर्धारित किया जाएगा। प्रशासन को आरक्षण प्रक्रिया पूरी कराकर नवंबर के पहले सप्ताह के अंत तक शासन को रिपोर्ट भेजनी है। वार्ड के आरक्षण की सूची जारी होने का दावेदार बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
ऐसी संभावना है कि इस बार अधिकांश जिलों के वार्ड का आरक्षण बदल जाएगा। ऐसे में वहां चुनाव की दावेदारी कर रहे लोगों को बेचैनी है।सभी को आरक्षण लिस्ट का इंतजार है। कई जगह तो आरक्षण बदलने की आशंका को लेकर दिग्गज दावेदार अपने संबंधियों जैसे पत्नी, भाई या रिश्तेदार के नाम से प्रचार करने की तैयारी में हैं। वहीं दूसरी ओर वार्ड में आरक्षण बदलने से कई सभासदों की किस्मत भी दांव पर लग सकती है।
वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर जिला स्तर पर इसका परीक्षण करने के बाद शासन को भेजा जा रहा है। अब आरक्षण पर शासन के निर्देश का इंतजार है। वहीं चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे लोगों की नजर वार्ड आरक्षण पर ही है। आरक्षण लिस्ट जारी होते ही चुनाव की तैयारी और तेज हो जाएगी। कई लोगों को इस बात का भी डर कि वो अभी से अगर चुनाव प्रचार में जुट जाए और अंतिम समय में वार्ड का आरक्षण ही बदल जाएगा तो इससे उनको नुकसान हो जाएगा।
# ऐसे होता है सीटों का आरक्षण
नगर निकाय चुनाव में हर वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व मिले इसके लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान किया गया है। सीटों का आरक्षण चक्रानुक्रम में किया जाता है। यानी जो सीट वर्तमान समय मे आरक्षित है उसे अनारक्षित श्रेणी में किया जा सकता है या जो सीट ओबीसी के लिए थी वह सामान्य या आरक्षित हो सकती है। कुल मिलाकर आरक्षण में चक्रानुक्रम प्रणाली का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि उससे सीट पर हर वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व का मौका मिलता रहे।