सुल्तानपुर : राम ब्रह्म है और दशरथ जीवात्मा- संतोष जी महाराज
बेलवाई।
दीपक जायसवाल
तहलका 24×7
क्षेत्र अंतर्गत एतिहासिक श्री भुवनेश्वरनाथ शिवधाम प्रांगण में देवदीप मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान में चल रही सप्त दिवसीय श्रीराम कथा के छठवें दिवस कथा व्यास संतोष जी महाराज ने दशरथ जी के मृत्यु की कथा का तत्व दर्शन प्रस्तुत करते हुए कहा कि दशरथ जीवात्मा है, राम परमात्मा हैं, वशिष्ठ धर्म हैं, कौशल्या साधना हैं, सुमित्रा उपासना हैं और कैकेयी वासना है।
जीव का संरक्षण परमात्मा सदैव करता है। जीव को धर्म के अनुशासन को मानना चाहिए। जीव के पीछे परमात्मा की छाया रहती है। परंतु जीव जब उस छाया को विस्मृत कर देता है और जीव अपने जीवन के पथ की तरफ आगे बढ़ता है तो जीवों के पथ पर साधना का शिविर होता है। जब जीव साधना के शिविर को ठुकरा कर आगे बढ़ता है तो आगे उपासना का शिविर उसको बुलाता है। परंतु जीव उपासना के भी शिविर में प्रवेश नहीं करता है। आगे वासना का शिविर होता है और जीव वासना के शिविर में जब पहुंचता है तो जीव के पीछे परमात्मा होता है।
जीव के आगे वासना होती है परमात्मा को छोड़कर जब जीव वासना के चक्रव्यूह में फंस जाता है तो जीव को परमात्मा भी नहीं बचा पाता जीव धराशायी हो जाता है। और फिर कभी नहीं उठ पाता है। जब जीव साधना और उपासना के अंतर्गत जीवन यापन करता है तो परमात्मा जीवों का साथ देता है। परंतु जब जीव साधना और उपासना को छोड़कर वासना के मुट्ठी में फंस जाता है तब परमात्मा जीव का साथ छोड़ कर जीव के जीवन से निर्गत हो जाता है। इस कथा के बाद महाराज जी ने राम केवट संवाद की सुंदर व्याख्या किया और भगवान राम माता सीता और लक्ष्मण को गंगा पार होने की कथा को सुनाया।
इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक पूर्व प्रधान दिलीप मोदनवाल, डॉ विजय सिंह, रंजीत अग्रहरि, प्रदीप, शिवा अग्रहरि, राजेश मोदनवाल श्रीनाथ अग्रहरि, राजेश गिरी, मनोज दूबे, अशोक अग्रहरी, दीपक जायसवाल, सुभाष राजभर, मोहनलाल सोनी समेत काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। श्रीराम कथा के अध्यक्ष व मुख्य यजमान दुर्गेश राधे रमण मिश्रा जी ने आए हुए श्रद्धालुओं का आवभगत किया।