गोल्ड माफिया का कारनामा: ‘कैरेट से कैरम’ खेलता है यह डायनासोर!
# चर्चा को लगे पंख: मीडिया ट्रायल रोकने और जौनपुर पुलिस को अपने शीशे में न उतार पाने के बाद कीर्तिकुंज का मालिक गोल्ड माफिया अब प्रदेश की राजधानी में बैठे कथित बड़े नौकरशाहों से अपने रसूख के इस्तेमाल में जुटा।
कैलाश सिंह
जौनपुर/ लखनऊ।
तहलका 24×7
जून महीने के इसी हफ़्ते में ज्वेलरी बिक्री में धोख़ाधड़ी और बाउंसरों के जरिए धमकाने वाले कीर्तिकुंज के मालिक और सेल्समैन के खिलाफ हुआ मुकदमा दिलचस्प मोड़ लेने लगा है। जौनपुर शहर कोतवाल से लेकर एसपी तक को मैनेज करने में नाकाम गोल्ड माफिया अब प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बैठे अपने रसूख वाले नौकरशाहों के जरिए इस मामले को रफादफा कराने को दौड़ रहा है। इसके लिए वह कोई भी कीमत खर्चने को तैयार है, क्योंकि इस घटना से उसके धंधे के भरोसे की धज्जी उड़ रही है।

इस चर्चा को खासकर पूर्वांचल की सर्राफा मण्डी में पंख लगे हुए हैं।विदित हो कि जौनपुर के कुल्हनामऊ कलीचाबाद निवासी हिमांशु मिश्र ने कीर्तिकुंज ज्वेलर्स के यहां से चार लाख 64 हजार से अधिक मूल्य पर बीते फरवरी माह में बच्चों की शादी के मद्देनजर हार खरीदा था। जांच में उस हार का एचयूआईडी नम्बर और हॉलमार्क ‘बाली’ का निकला। वापसी की बात पर पीड़ित हिमांशु मिश्र को बाउंसरों के जरिए धक्के मारकर भगाया गया तो वह सीधे शहर कोतवाल मिथिलेश मिश्र के सामने तहरीर लेकर खड़े हो गए।

एफआईआर न लिखे जाने के विविध दबाव को दर किनार करते हुए कोतवाल ने पीड़ित का ही पक्ष लिया।
एसपी डॉ कौस्तुभ ने मामला गंभीर देख विवेचक बदल दिया। इस घटना के बाद से तमाम ग्राहक अपने खरीदे गए जेवर भी टंच कराने शुरू कर दिये हैं। लोगों को गिफ्ट हैम्पर के जरिए लुभाने वाले इस गोल्ड माफिया के कारनामे सरेआम होने लगे हैं। छोटे सर्राफा व्यापारी भी कानून की गिरफ्त में इस डायनासोर के फंसने से आंतरिक रूप से तो खुश हैं, लेकिन उपरी मन और संगठन से प्रतिबद्धता के चलते उसके साथ नज़र आते हैं।

ऐसा इसलिए है, क्योंकि बाज़ार मूल्य से सस्ता माल बेचकर यह ग्राहकों को अपनी तरफ खींच लेता है, ऐसे में छोटे व्यापारियों का धंधा चौपट हो जाता है। इनमें जो उसकी राह पर चलते हुए नकली या या कम गुणवत्ता वाले जेवर बेचने लगते हैं तो वह गोल्ड माफिया गिरोह के खास मेंबर हो जाते हैं, इनकी संख्या भी बढ़ने लगी है।

कैरेट में यह बड़ी बारीकी से खेलता है, जैसे पुराने जेवर ग्राहकों से खरीदता है तो जीएसटी व मेकिंग चार्ज भी काट लेता है, लेकिन उसे साफ करके जब बेचता है तो यह वसूली नकली रसीद देकर भी कर लेता है, इस तरह राजस्व को तगड़ी चोट देता है। कैरेट के मामले में यह ग्राहकों से कैरम की गोटी सरीखे खेलता है। बानगी के तौर पर यह 14 कैरेट का जेवर देकर उसपर 18 और 22 कैरेट की मुहर लगाता है। बाकी अगली कड़ी में।
क्रमशः……….