पीएम आवास योजना के दो हजार लाभार्थियों को वसूली की नोटिस भेजने तैयारी में प्रशासन
प्रयागराज।
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प्रधानमंत्री आवास योजना के दो हजार से अधिक लाभार्थियों के खिलाफ प्रयागराज जिला प्रशासन ने वसूली की कार्यवाही शुरू की है। आरोप है कि इन लाभार्थियों ने योजना के तहत धनराशि तो ले ली, लेकिन अपने मकान नहीं बनाए। नोटिस भेजने के बाद प्रशासन अब दुरुपयोग किए गए सरकारी धन को वापस पाने के लिए संबंधित तहसीलों से वसूली प्रमाण पत्र जारी करने की तैयारी कर रहा है।

पीएम आवास योजना ग्रामीण के तहत कुल 1,507 ग्रामीण लाभार्थी और शहरी के तहत 504 शहरी लाभार्थियों ने सरकारी सहायता मिलने के बाद भी अपने मकान नहीं बनाए।उल्लेखनीय है कि शहरी क्षेत्र के लगभग 470 व्यक्तियों को लगभग छह साल पहले वित्तीय सहायता मिली थी, लेकिन सभी किश्तें लेने के बाद उन्होंने अभी तक अपने मकान नहीं बनाए। इनमें से 400 से अधिक लाभार्थियों ने अपने मकानों की नींव भी नहीं रखी। वहीं अन्य 100 ने अधूरी दीवारों जैसे आंशिक ढांचे का ही निर्माण किया।

झलवा, धूमनगंज, सलोरी, बघारा, राजापुर, करेली और राजरूपपुर जैसे शहरी क्षेत्रों में बकाएदारों की संख्या सबसे अधिक है। इसी तरह सिरसा, भारतगंज, कोरांव, शंकरगढ़, हंडिया, फूलपुर, मऊआइमा और लाल गोपालगंज जैसे कस्बों के लाभार्थी भी स्वीकृत धनराशि का सही उपयोग करने में विफल रहे।यह समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रुप से व्यापक है, जहां कोरांव, मेजा, करछना, बारा, फूलपुर और हंडिया जैसी तहसीलों में लगभग 1,450 लाभार्थी सरकारी सहायता की पूरी किस्तें लेने के बावजूद निर्माण शुरु नहीं किया।

अधिकांश मामले ऐसे हैं, जहां घरों की नींव ही नहीं रखी गई है।कुछ प्लॉट पर तो खुदाई भी नहीं की गई है। इसके चलते जिला नगरीय विकास अभिकरण शहरी बकाएदारों के खिलाफ वसूली प्रमाण पत्र जारी करने के लिए संबंधित तहसीलों को एक औपचारिक रिपोर्ट भेजने की तैयारी कर रहा है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भी इसी तरह के दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।

इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी हर्षिका सिंह ने जोर देकर कहा कि पीएमएवाई के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले लाभार्थियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि धन का उपयोग केवल घर निर्माण के लिए ही किया जाए। जिन लोगों ने तीन नोटिसों की अनदेखी की, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि इससे पहले 2023 में भी बिहार में ऐसा ही मामला सामने आया था, जब ग्रामीण विकास विभाग ने राज्य में पीएम आवास योजना ग्रामीण के 2.21 लाख लाभार्थियों को योजना के तहत आवंटित पक्के मकानों का निर्माण नहीं करने के लिए नोटिस जारी किए थे।