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Friday, May 16, 2025

‘योगी राज’ में भी एक अफसर नेता के नाम पर करता रहा मनमानी पर निकल गई हेकड़ी! 

‘योगी राज’ में भी एक अफसर नेता के नाम पर करता रहा मनमानी पर निकल गई हेकड़ी! 

# जौनपुर के डीएम डॉ. दिनेश चंद्र ने एक मातहत को ‘पुनरमुश्को भव’ कर दिया, वह जहां से उठा था उसे वहीं पहुंचा दिया।हालांकि उसने एक माननीय का हवाला देकर अर्दब में लेने की कोशिश की पर कामयाब नहीं हो सका। 

कैलाश सिंह
जौनपुर/लखनऊ। 
तहलका 24×7
               जौनपुर के जिस अफसर की हम बात करने जा रहे हैं उसके लिए एक किंवदंती को जानना जरूरी है। एक मन्दिर परिसर में राम कथा चल रही थी, वहां रोज दर्जनों महिला-पुरुष कथा श्रवण को आते थे, लेकिन अधिकतर लोग अपनी निजी बातों में उलझे रहते थे। केवल एक चूहा अपने दोनों पैर उठाकर कथा वाचक के उठने के बाद जाता था। पंडित जी उसे असली राम भक्त समझकर अपने तप के बलपर ‘चूहा से इंसान’ बना दिया। अब वह कोने से उठकर सबके बीच में बैठने लगा।
कथा समापन के बाद भी वह दोनों हाथ अपने मुंह से लगाए रखा और उसके दांत बज रहे थे, तब पंडित जी ने कहा बच्चा जाओ कल फिर आना, लेकिन वह अपनी आदत के अनुसार चना खाता रहा और उनकी बात नहीं सुना, तब माजरा समझकर पंडित जी ने उसे ‘पुनर्मूमुश्को भव’ का श्राप देकर वरदान वापस ले लिया। वह फ़िर से चूहा बन गया। कुछ ऐसा ही मामला जौनपुर के प्रशासनिक अमले में फेरबदल के दौरान हुआ।दरअसल एसडीएम सदर पवन कुमार को डीएम डॉ. दिनेश चंद्र ने न्यायिक मजिस्ट्रेट का चार्ज देकर मछलीशहर तहसील पर भेज दिया।
डबल रोल निभाने वाले उनके मातहत स्टेनो/पेशकार अखिलेंद्र सिंह को भी अभिलेखागार में भेज दिया। किसी भी ‘आईएएस अथवा आईपीएस’ की बेहतरीन कार्यशैली और आमजन के प्रति उसके व्यवहार का पता केवल एक घटना से चल जाता है। फ़िर यही वाकया आमजन के बीच पहुंचकर लोगों के लिए भरोसे की शक्ल ले लेता है। इसके बाद हर आम आदमी उस अफसर को संकट मोचक मानकर बेझिझक उसके पास पहुंचकर अपनी पीड़ा सुना देता है। याद रखिए ऐसे अफसर के पास वीआईपी कल्चर अथवा समाज के सक्षम लोगों के लिए कार्य दिवस में वक्त नहीं होता है, शायद इसी कारण कलेक्ट्रेट के अधिवक्ताओं का विरोध जौनपुर के डीएम डॉ. दिनेश चंद्र झेल रहे हैं।
हालांकि सिविल कोर्ट के शासकीय अधिवक्ता श्रीकांत श्रीवास्तव कहते हैं कि डीएम लंबित कार्य जल्दी निबटाने में विश्वास रखते हैं, उनका सहयोगी व्यवहार तो सभी को कायल कर देता है।अब एसडीएम सदर से तबादला होकर मछलीशहर के न्यायिक मजिस्ट्रेट बने पवन कुमार के कारनामों की झलकियां जानिए: यह केराकत में तहलीलदार के पद से प्रमोट होकर वहीं न्यायिक मजिस्ट्रेट हो गए। वहां इनके कार्य कितने पारदर्शी थे ये तो उस क्षेत्र के लोग बताते नहीं थकते, लेकिन जिला मुख्यालय पर एसडीएम सदर और न्यायिक मजिस्ट्रेट का कार्यभार तत्कालीन डीएम रहे मनीष वर्मा ने इन्हें दिया था।
जब इन्हें दोनों चार्ज मिला तो वह अपने स्टेनों अखिलेंद्र सिंह को पेशाकार का भी चार्ज दे दिये। इस तरह दोनों डबल चार्ज में आ गए तो वाद-विवाद बढ़ने लगे और चांदी कटने लगी। इसके बाद हमजातीय कोर्ट रोज शाम छः बजे से रात नौ बजे तक कलेक्ट्रेट परिसर में चलने लगी।जब भ्रष्टाचार की शिकायतें बढ़ने लगीं तब डीएम डॉ. दिनेश चंद्र ने कडाई शुरू कर दी, इसके बाद इस अफ़सर के पक्ष में प्रदेश के एक माननीय मंत्री वाया फोन नमूदार हुए लेकिन डीएम नहीं डिगे और इस अफ़सर को मछलीशहर एवं इनके मातहत को अभिलेखागार भेज दिये।

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