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Saturday, April 20, 2024

नई दिल्ली : कैंसर की नकली दवा बनाने वाले अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का भंडाफोड़ 

नई दिल्ली : कैंसर की नकली दवा बनाने वाले अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का भंडाफोड़ 

# एमबीबीएस डॉक्टर, इंजीनियर समेत कुल सात आरोपियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार

दिल्ली। 
आर एस वर्मा
तहलका 24×7
                दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने सोनीपत के गन्नौर में कैंसर की नकली दवा बनाने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह का खुलासा किया है। पुलिस ने इस संबंध में एमबीबीएस डॉक्टर, इंजीनियर समेत कुल सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है। छानबीन के दौरान पता चला कि गिरोह भारत के अलावा चीन, नेपाल, बांग्लादेश समेत दूसरे देशों में कैंसर की नकली दवा सप्लाई करते थे। पिछले चार दिन से दिल्ली, गाजियाबाद, चंडीगढ़ और सोनीपत में छापे के बाद दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया है। कई अन्यों की फिलहाल तलाश में छापे मारे जा रहे हैं।
पकड़े गए आरोपियों की पहचान डॉ. पबित्रा नारायण प्रधान (34), शुभम मन्ना (29), पंकज सिंह बोहरा (27), अंकित शर्मा उर्फ अंकू उर्फ भज्जी (26), राम कुमार उर्फ हरबीर (43), एकांश वर्मा (27) और प्रभात कुमार (45) के रूप में हुई है। अपराध शाखा के विशेष आयुक्त रविंद्र सिंह यादव ने बताया कि आरोपी भारत, अमेरिका, इंग्लैंड, बांग्लादेश और श्रीलंका की सात बड़ी कंपनियों के 20 से अधिक ब्रांड की नकली दवा तैयार कर रहे थे। इनके पास से अब तक करीब आठ करोड़ रुपये से अधिक की दवा बरामद की है।
इसके अलावा दवा बनाने में इस्तेमाल होने वाली महंगी मशीनें, केमिकल के अलावा करोड़ों की प्रॉपर्टी भी इनके पास से मिली है। श्री यादव ने कहा कि इसका मास्टर माइंड एमबीबीएस डॉक्टर पबित्रा नारायण प्रधान है। अपराध शाखा की टीम को डॉक्टर पबित्रा के दो सहयोगियों बांग्लादेश निवासी डॉक्टर रसैल और बिहार के डॉक्टर अनिल की तलाश है। पुलिस छानबीन के दौरान पुलिस को पता चला है कि दोनों आरोपी चीन फरार हो गए हैं। विशेष आयुक्त ने बताया कि पिछले दिनों सूचना मिली थी कि कैंसर की नकली दवाइयां बनाने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय गैंग सक्रिय है। गैंग भारत ही नहीं चीन, नेपाल, बांग्लादेश समेत दूसरे देशों में भी नकली दवा सप्लाई कर रहा है।
जांच के दौरान टीम को पता चला कि गाजियाबाद के लोनी स्थित ट्रॉनिका सिटी में मास्टरमाइंड डॉ. पबित्रा नारायण और इसके ममेरे भाई शुभम मन्ना ने नकली दवा का गोदाम बना रखा था। इसकी देख-रेख और दवाओं की सप्लाई के लिए इन्होंने अंकित शर्मा उर्फ अंकू उर्फ भज्जी और पंकज सिंह बोहरा को रखा हुआ है। डॉ. पबित्रा चौहान रेजिडेंसी, सेक्टर-45, नोएडा स्थित फ्लैट से इसका संचालन कर रहे थे।
जानकारी जुटाने के बाद टीम ने पहले दिल्ली के भैरों मंदिर रोड, प्रगति मैदान से स्कूटी सवार पंकज को दबोचा। इसके पास से भारी मात्रा में कैंसर की नकली दवाएं बरामद हुईं। बरामद दवाएं अमेरिका की नामी कंपनी की थीं। पंकज से पूछताछ के बाद टीम ट्रॉनिका सिटी स्थित गोदाम में पहुंची। वहां से भी टीम ने भारी मात्रा में दवाएं, पैकिंग का सामान, खाली डिब्बे, बिना नाम की दवाई, तारीख और बैच नंबर डालने की मशीन व अन्य सामान बरामद हुआ। इसके बाद एक अन्य टीम को तुरंत नोएडा सेक्टर-45 स्थित चौहान रेजिडेंसी भेजा गया। वहां से पुलिस ने मास्टर माइंड पबित्रा नारायण, इसके रिश्तेदार शुभम मन्ना और अंकित शर्मा को गिरफ्तार किया। इनके फ्लैट से भी भारी मात्रा में दवाएं बरामद हुई।
मास्टरमाइंड पबित्रा से पूछताछ के बाद फौरन एक टीम को सोनीपत के गन्नौर स्थित बादशाही रोड पर मौजूद फैक्टरी में भेजा गया। वहां से पुलिस ने पबित्रा के कहने पर नकली दवाएं बनाने वाले फैक्टरी मालिक राम कुमार उर्फ हरबीर को गिरफ्तार कर लिया। इसके पास से दवाएं बनाने में इस्तेमाल होने वाला केमिकल व 86500 खाली कैप्सूल व 14 महंगी मशीनें बरामद हुई। इसके बाद एक अन्य टीम को चंडीगढ़ के मनी माजरा स्थित कंपनी भेजा गया। वहां से पुलिस ने एकांश वर्मा को गिरफ्तार किया।
एकांश राम कुमार को खाली कैप्सूल उपलब्ध कराने के अलावा इंडिया मार्ट पर कैंसर की नकली दवाएं बेचता था। सातवें आरोपी प्रभात कुमार को पुलिस ने गाजियाबाद स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया। प्रभात का भागीरथ प्लैस में दवा का बड़ा कारोबार है। पुलिस को 6150 नामी कंपनियों के लेबल लगी बोतलें व पैकेट शुभम मन्ना के लॉकर से मिले 14.99 लाख रुपये मिले। नोएडा स्थित फ्लैट से 1.30 लाख रुपये मिले। करोड़ों की मशीन और दवा बनाने का कच्चा माल
12 मोबाइल फोन और लैपटॉप, वारदात में इस्तेमाल एक स्कूटी, बरामद किया। गुरुग्राम में करीब नौ करोड़ कीमत के दो प्लॉट की भी जानकारी मिली है।
पिछले चार सालों से आरोपी डॉ. पबित्रा नारायण प्रधान कैंसर की नकली दवा का धंधा कर रहा था। पुलिस पूछताछ के दौरान आरोपी ने बताया कि उसने चीनी यूनिवर्सिटी से वर्ष 2012 में एमबीबीएस किया है। यहां उसकी मुलाकात बांग्लादेशी नागरिक व उसके क्लासमेट डॉ. रसैल से हुई थी। रसैल ने कैंसर की नकली दवाइयां बनाने का आइडिया दिया था। रसैल ने बताया कि वह उसे कैंसर की दवाई बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला एपीआई (एक्चुअल फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स) उपलब्ध करा देगा। उसने बताया कि कैंसर की दवाओं की भारत और चीन में खासी मांग है। दवाएं महंगी है, इसलिए उनको आधे दामों पर बेचने में भी फायदा है। पबित्रा इसके लिए तैयार हो गया।
उसने अपने काम के लिए एमबीबीएस डॉक्टर अनिल को साथ में लेकर यह गोरखधंधा शुरू कर दिया। छानबीन के दौरान पुलिस को पता चला कि चीन से एमबीबीएस करने के बाद डॉ. पबित्रा ने दिल्ली के तीन बड़े अस्पताल जीटीबी, सुपर स्पेशलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट और दीपचंद बंधु अस्पताल में नौकरी की थी। नकली दवाइयों के धंधे में उतरने से पहले पबित्रा ने अपने ममेरे भाई शुभम मन्ना और दूसरे साथियों को इसमें शामिल किया। बेंगलूरु से बीटेक करने के बाद शुभम ने कई एमएनसी में काम किया। इसके बाद वह अपने कजिन के साथ नकली दवाइयों के धंधे में जुट गया। पबित्रा ने दवाइयों के धंधे की देख-रेख करने के लिए आईटीआई डिप्लोमा पास पंकज और अंकित को अपने पास नौकरी पर रख लिया। वह दवाओं को पैक करने के अलावा मार्केट में सप्लाई व कोरियर भी करते थे।
राम कुमार उर्फ हरबीर की गन्नौर, सोनीपत में आरडीएम, बायोटेक के नाम से दवा बनाने की फैक्टरी है। खुद को एम्स का डॉक्टर बताकर आरोपी ने रामकुमार से कैंसर की नकली दवाएं बनवानी शुरू की, लेकिन बाद में उसे दवा के नकली होने का पता चल गया। एकांश चंडीगढ़ में फार्मा कंपनी चलाता है। वह रामकुमार की कंपनी को खाली कैप्सूल के अलावा अन्य सामान उपलब्ध करवाता था। यह इंडिया मार्ट के जरिये भी दवाएं बेचता था। वहीं, प्रभात कुमार का दिल्ली के भागीरथ प्लेस में दवा का कारोबार है। उसकी मुलाकात डॉ. अनिल से हुई थी। वह उसकी दुकान पर आया था। अनिल ने उसे कैंसर की नकली दवाइयां बेचने का ऑफर दिया था। प्रभात अपने ग्राहकों को पूरे भारत के अलावा चीन व दूसरे देशों में दवाएं भेजता था।

# पकड़े गए आरोपी

डॉ. पबित्रा नारायण प्रधान: मास्टर माइंड, चीन से एमबीबीएस पास, परिवार के साथ चौहान रेजिडेंसी नोएडा सेक्टर-45 में रह रहा।
शुभम मन्ना: बेंगलुरु से बीटेक, पबित्रा का ममेरा भाई, दवा बेचने में पबित्रा के साथ कर रहा था दवा का धंधा, चौहान रेजिडेंसी, नोएडा।
पंकज सिंह बोहरा: मूलरूप से उत्तराखंड के पिथौरागढ़, गांव नौखाना का रहने वाला पबित्रा के गोदाम की देखरेेख के अलावा दवा भी करता था सप्लाई।
अंकित शर्मा: नेब सराय दिल्ली का रहने वाला, पबित्रा का कर्मचारी, गोदाम की देखरखे के अलावा दवा सप्लाई का करता था काम।
राम कुमार उर्फ हरबीर: गन्नौर, सोनीपत में दवा फैक्टरी का मालिक, अपनी फैक्टरी में बनवाता था नकली दवाइयां।
एकांश वर्मा: चंडीगढ़ के मनीमाजरा का रहने वाला आरोपी एकांश अपने एरिया में फार्मा कंपनी चलाता है, वह राम कुमार को खाली कैप्सूल उपलब्ध करवाता था।
प्रभात कुमार: सेक्टर-3, वसुंधरा के रहने वाले प्रभात की भागीरथ प्लेस में दवा की दुकान है, वह डॉक्टर अनिल के कहने पर कैंसर की नकली दवाएं बेचता था।

# चीन भागे दो आरोपी

विशेष आयुक्त रविंद्र सिंह यादव ने बताया कि नकली दवा मामले में आरोपी बंग्लादेश निवासी डा. रसैल एवं एक अन्य चीन भाग गए हैं। पुलिस इनकी सुरागकशी में लगी है। पहले इनके बंग्लादेश एवं नेपाल में छिपे होने की सूचना मिली थी।
100 करोड़ से ज्यादा की नकली दवाएं ठिकाने लगा चुके हैं। कैंसर की नकली दवाएं बेचने के मामले में आरोपियों ने पिछले चार सालों के दौरान झूठी उम्मीदों के सपने दिखाकर 100 करोड़ से अधिक की ठगी कर ली है।
पुलिस की छानबीन के दौरान पता चला है कि आरोपियों ने गुरुग्राम में करीब नौ करोड़ के दो प्लाट खरीदे हुए हैं। इसके अलावा डॉ. पबित्रा ने दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल में एक नर्सिंग होम के लिए करोड़ों की जमीन खरीदी है। इसके अलावा इन लोगों ने डॉ. अनिल के साथ मिलकर नेपाल में भी करोड़ों की जमीन खरीदी है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह नेपाल में भी नकली दवा बनाने की फैक्टरी लगाने की तैयारी कर रहे थे। अपराध शाखा की टीम पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ कर मामले की छानबीन कर रही है।
अपराध शाखा के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपियों के पास से करीब आठ करोड़ रुपये की दवाएं बरामद हुई है। आरोपियों ने बताया है कि यह चार माह का स्टाक है। हर साल वह करीब 25 करोड़ की दवाएं बेच देते हैं। माना जा रहा है कि पिछले चार सालों के दौरान वह 100 करोड़ से ज्यादा की दवाई बेच चुके हैं। आरोपियों ने बताया कि कैंसर के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाइयों की कीमत पांच हजार रुपये से लेकर दो लाख के बीच में है। वे आधे दामों पर ही दवाएं उपलब्ध करा देते थे। इसलिए दवाइयों की डिमांड ज्यादा थी।

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